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श्रापित दोष यज्ञ | हवन

श्रापित दोष यज्ञ | हवन

नियमित रूप से मूल्य Rs. 5,500.00
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शापित दोष यज्ञ भारतीय ज्योतिष में एक विशेष पूजा अनुष्ठान है जो तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शापित दोष होता है। यह दोष तब होता है जब शनि और राहु एक ही भाव में स्थित होते हैं। इसे एक अशुभ योग माना जाता है क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयों, बाधाओं और नकारात्मक प्रभावों का कारण बन सकता है। माना जाता है कि यह दोष पिछले जन्म के कर्मों या पैतृक श्रापों के कारण उत्पन्न होता है।


शापित दोष यज्ञ क्या है?

शापित दोष यज्ञ भगवान शिव, शनि देव और राहु-केतु की पूजा के माध्यम से की जाने वाली एक विशेष पूजा पद्धति है। यह यज्ञ दोष को शांत करने और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाने के लिए किया जाता है। इस अनुष्ठान में विशिष्ट मंत्रों का जाप, हवन (अग्नि अनुष्ठान) करना और पवित्र प्रक्रियाओं का पालन करना शामिल है।


शापित दोष निवारण यज्ञ के लाभ:

  • शापित दोष के लिए उपाय:
    यह यज्ञ शनि और राहु के संयुक्त प्रभाव से उत्पन्न नकारात्मक ऊर्जा को शांत करता है।

  • जीवन में शांति और स्थिरता:
    यह व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति और स्थिरता लाने में मदद करता है।

  • वित्तीय समस्याओं का समाधान:
    यह यज्ञ आर्थिक कठिनाइयों और वित्तीय मुद्दों को दूर करने में सहायता करता है।

  • पारिवारिक संबंधों में सुधार:
    यह पारिवारिक कलह और तनाव को कम करता है, रिश्तों में सामंजस्य स्थापित करता है।

  • स्वास्थ्य सुधार:
    यह यज्ञ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने में मदद करता है और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

  • पैतृक श्राप से मुक्ति:
    यह पितृ दोष के प्रभाव को कम करता है।

  • जीवन में प्रगति:
    यह यज्ञ बाधाओं को दूर करता है तथा जीवन में सफलता और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है।


यह यज्ञ कब और कहाँ किया जाना चाहिए?

  • समय:
    यज्ञ शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए, जो व्यक्ति की कुंडली और ग्रहों की स्थिति के आधार पर निर्धारित किया जाता है।

  • स्थान:
    त्र्यम्बकेश्वर (महाराष्ट्र) , उज्जैन , वाराणसी (काशी) और हरिद्वार जैसे धार्मिक स्थान इस यज्ञ के लिए विशेष रूप से आदर्श माने जाते हैं।


शापित दोष निवारण यज्ञ में प्रयुक्त सामग्री:

  • हवन कुंड (पवित्र अग्नि कुंड) और आम की लकड़ी
  • तिल, चावल और घी
  • पूजा सामग्री: फूल, दीपक, नारियल और पान के पत्ते
  • विशिष्ट मंत्रों के जाप के लिए पवित्र ग्रंथ
  • गुरु एवं राहु/केतु शांति हेतु विशेष जड़ी-बूटियां

टिप्पणी:

इस यज्ञ को पूर्ण श्रद्धा और उचित विधि-विधान से किया जाना चाहिए, तभी इसका सकारात्मक परिणाम प्राप्त होगा। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि यज्ञ अनुभवी पंडितों के मार्गदर्शन में ही किया जाए।

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